जब पीटर शिफ़, मुख्य अर्थशास्त्री और यूरो पैसिफिक एसेट मैनेजमेंट ने X (Twitter) पर "कुछ बड़ा होने वाला है" लिखा, तो सोने की कीमत सोना ने $4,378.69 प्रति औंस का नया इतिहास रच दिया। यह उछाल 16 अक्टूबर 2025 को हुआ, जहाँ स्पॉट गोल्ड 0.3% बढ़कर $4,336.18 पर पहुँचा और US डिलिवरी फ्यूचर 1% उछल कर $4,348.70 पर आ गया।
रिकॉर्ड कीमत और बाजार की प्रतिक्रिया
उक्त मूल्य मार्च 2020 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक उछाल था, जब सोने ने 10% से अधिक की छलांग लगाई। केवल चार दिन बाद, 22 अक्टूबर को बाजार ने 5.74% की गिरावट दर्ज की – यह सबसे बड़ी एक‑दिन गिरावट 2013 के बाद है।
- सप्ताह के अंत तक सोने की कीमत में 60% की वार्षिक बढ़त दर्ज।
- गोल्ड फ्यूचर की महीने‑दर‑माहिड़ी कीमत $4,900 तक पहुँचने की संभावना, जैसा कि गोल्डमैन सैक्स ने कहा।
- अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और चीन‑अमेरिका व्यापार टैरिफ़ का सीधा असर।
कीमत में उछाल के प्रमुख कारण
बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, कई स्थायी कारक इस उछाल को प्रेरित कर रहे हैं। 21 अक्टूबर को टॉर्स्टन स्लोक, जो एपोला ग्लोबल मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री हैं, ने कहा कि चीन का बँधवना आधे से अधिक पावर प्ले है। उन्होंने चार्ट के माध्यम से दिखाया कि:
- चीन की सेंट्रल बैंक का सीधा खरीद।
- घरेलू निवेशकों की बढ़ी हुई माँग।
- अर्बिट्रेज ट्रेडिंग और सुरक्षित‑शरण की प्रवृत्ति।
इन सभी कारकों ने मिलकर सोने को एक आकर्षक एसेट बना दिया।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय जगत के कई नामी चेहरा इस उछाल को लेकर अलग‑अलग दृष्टिकोण रख रहे हैं।
एड यार्डेनी, एक अनुभवी विश्लेषक, का अनुमान है कि 2026 में सोने की कीमत $5,000 तक पहुँच सकती है और 2028 तक $10,000 के स्तर पर भी जा सकती है, अगर मौजूदा प्रवृत्ति बनी रही। उनका तर्क है कि फिएट मुद्राओं का ‘डिबैसमेंट ट्रेड’ सोने को एक मजबूत हेज बना रहा है।
दूसरी ओर, रुचिर शर्मा, एक स्वतंत्र अर्थशास्त्री, ने चेतावनी दी कि वर्तमान “लीक्विडिटी‑ड्रिवेन स्पेकुलेटिव फिंज़ी” अस्थायी हो सकता है। उन्होंने कहा, "अगर फेड ब्याज दरें बढ़ाता है या महंगाई फिर से उछलती है, तो सोना अब हेज नहीं रहेगा।"
साथ ही, गोल्डमैन सैक्स ने अपनी नवीनतम रिसर्च में भविष्य की कीमत $4,900 बताई, जबकि IMF और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में कई प्रतिनिधियों ने अमेरिकी आर्थिक पुनरुद्धार की आशा जताई, जिससे सोने की सुरक्षा मार्जिन घट सकता है।
संभावित जोखिम और भविष्य की दिशा
कई जोखिम कारक अभी भी मौजूद हैं। अमेरिकी डॉलर पर भरोसा घट रहा है, लेकिन अगर फेडरल रिज़र्व अचानक नीतियों में बदलाव करता है तो सोने का वॉल्यूम तेजी से गिर सकता है।
बिल ग्रॉस ने कहा, "सोना अब सिर्फ़ सुरक्षित‑शरण नहीं, एक मोमेंटम‑एसेट बन गया है," लेकिन वह यह भी जोड़ते हैं कि सरकारी बॉन्ड की यील्ड में गिरावट के कारण फंड्स जल्द‑बदलाव की स्थिति में हो सकते हैं।
इन सब के बीच, कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यदि चीन की नीति‑भ्रम की लहर जारी रहती है, तो सोना 2027‑2028 तक दो अंकों की वृद्धि देख सकता है। परंतु, एक बड़ी अनिश्चितता अभी भी है – वैश्विक आर्थिक स्थिति, यूएस‑चीन टैरिफ़ की स्थिरता और फेड की नीति दिशा।
इतिहास और तुलना
इतिहास बताता है कि सोने की कीमतें अक्सर आर्थिक शॉक के बाद उछाल दिखाती हैं। 2008‑09 की वित्तीय संकट में सोना 30% से अधिक बढ़ा, जबकि 2013‑14 में कमेज़ी जैसी घटनाओं ने कीमतों को नीचे धकेला। इसी तरह, 2020‑21 में कोविड‑19 के बाद सोने ने जलती हुई मंदी के बीच अपना प्रतिरोध दिखाया।
आज की स्थिति में, 2025 की 10% साप्ताहिक उछाल मार्च 2020 के बाद के सबसे तेज़ रैली के समान है, पर यह अब कई नई जटिलताओं – जैसे कि चीन‑अमेरिका टैरिफ़ और वैश्विक लिक्विडिटी – से घिरा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या सोने की कीमत आगे भी बढ़ेगी?
विशेषज्ञों का मत है कि अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और यू.एस.‑चीन टैरिफ़ जैसी नीतियों में बदलाव जारी रहेगा, तो सोने की कीमत 2026 में $5,000 और 2028 में $10,000 के आसपास पहुँच सकती है। परंतु फेडरल रिज़र्व की नीति में अचानक बदलाव एक बड़ा जोखिम बना रहेगा।
पीटर शिफ़ की चेतावनी का क्या मतलब है?
शिफ़ ने संकेत दिया कि सोना केवल सुरक्षित शरण नहीं, बल्कि बाजार में एक संभावित बड़े उछाल का संकेतक बन गया है। उनका मत है कि अगर कीमतें इस गति से बढ़ती रहें, तो वित्तीय सिस्टम में गहरा व्यवधान आ सकता है।
चीन का सोने की कीमत पर क्या प्रभाव है?
चीन की सेंट्रल बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में सोना खरीदना, घरेलू निवेशकों की बढ़ी हुई मांग और अर्बिट्रेज ट्रेडिंग सभी मिलकर कीमत को ऊपर धकेल रहे हैं। टॉर्स्टन स्लोक के अनुसार, चीन का यह दबाव इस उछाल का सबसे बड़ा चालक है।
क्या सोना अब मोमेंटम एसेट बन गया है?
बिल ग्रॉस का मानना है कि सोना अब केवल सुरक्षित‑शरण नहीं, बल्कि ट्रेडर और रिटेल निवेशकों के बीच एक ‘मेमे’ एसेट बन गया है। इस कारण कीमतों में तेज़ झटके और गिरावट दोनों सम्भव हैं।
इंस्टिट्यूशनल निवेशकों की भूमिका क्या है?
इंस्टिट्यूशनल फंड, जैसे पेंशन फंड और सेंट्रल बैंक, ने हाल के महीनों में सोने की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उनकी बड़ी रकम बाजार में लिक्विडिटी जोड़ती है, जिससे कीमतों का दबाव बढ़ता है।