रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*डॉ0 बब्बू सारंग, जनपद न्यायाधीश अम्बेडकरनगर के आदेशानुसार बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या में बच्चों के अधिकारविषयपर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया*
माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद एवं जनपद न्यायाधीश, महोदय, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज
दिनांक 19.05.2021 को जनपद अम्बेडकरनगर में गठित शेल्टर होम्स निरीक्षण कमेटी द्वारा जनपद अयोध्या में स्थितमहिला शरणालय एवं बाल सम्प्रेक्षण गृह का निरीक्षण शेल्टर होम्स कमेटी के सदस्य सुश्री प्रियंका सिंह, सचिव,जिलाविधिकसेवाप्राधिकरण,अम्बेडकरनगर व सुश्री कुमुद उपाध्याय, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अम्बेडकरनगर द्वारा
आनलाईन/वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया।उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं डॉ0 बब्बू सारंग, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के आदेशानुसार बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या में बच्चों के अधिकार विषय
पर विधिक साक्षरता शिविर एवं महिला शरणालय, अयोध्या में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा विषय पर विधिकसाक्षरता शिविर का आयोजन आनलाईन/वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। इस आनलाईन शिविर मेंसुश्री प्रियंका सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, श्री के0बी0 मिश्र, अधीक्षक, बाल सम्प्रेक्षणगृह, अयोध्या द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया गया।सुश्री प्रियंका सिंह, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर ने बाल सम्प्रेक्षण गृह अयोध्या में बच्चोंके अधिकार विषय परआनलाईनवीडियोकान्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित विधिक साक्षरता शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया कि भारतीय संविधान में बच्चों के शोषण को रोकने के लिये कानून बनाये गये है तथा बच्चों को
विशेष अधिकार दिये गये हैं। भारतीय संविधान के अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा को अनिवार्य बताया गया है जिसका उल्लेख भारतीय संविधान की धारा 21 में किया गया है। भारत के हर बच्चे को बेहतर स्वस्थ जीवन का अधिकार है। भारतीय संविधान के अंतर्गत बच्चों को नौकरी पर रखने तथा उनका शोषण करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। बाल अधिकारों में जरूरी पोषण प्राप्त करना यह बच्चों के अधिकारों में सर्वोपरि है। बच्चों को समानता का अधिकार है इसलिये उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव करना कानूनन अपराध है।मां-पिता द्वारा भी बच्चों में किए गए भेदभाव विशेषकर लिंग के आधार पर किए गए भेदभाव कानूनन अपराध है तथा भ्रूण हत्या या मानसिक प्रताड़ना कि लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। देश में बाल अधिकार कानून से बच्चों के प्रति अपराध कम जरूर हुये है लेकिन अभी भी इनमें पूरी तरह कमी नहीं आई है जिसके लिये हमें ही जागरूक होना होगा।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा महिला शरणालय, अयोध्या में कार्यस्थल पर
महिलाओं की सुरक्षा विषय पर आनलाईन/वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओको हक प्रदान करने के लिये संविधान में कई कानून पारित किये गये हैं। महिलाओं का उत्थान सिर्फ गोष्ठियों के
आयोजन करने से नहीं किया जा सकता है। हमें महिलाओं को उनका सही हक दिलाने के लिये अपने घर से ही
शुरूआत करनी होगी। अपनी बेटी को उसका पूरा अधिकार दें, उसे खूब पढ़ायें-लिखायें और पुरुषों की तरह कंधे से
कंधा मिलाकर देश केविकास में सहयोग करने हेतु प्रेरित करें, उन्होंने बताया कि सन् 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को पारित किया गया जिन संस्थाओं में 10 से अधिक लोग कार्य करते हैं उन संस्थाओं पर यह अधिनियम लागू होता है। इसका उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध एवं निवारण को स्पष्ट करता है। और उल्लंघन के मामले में पीड़िता को निवारण प्रदान करने का कार्य करता है। सचिवमहोदय द्वाराअधीक्षक, बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या व प्रभारी अधीक्षिका, नारी शरणालय, अयोध्या को कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत निर्देशित किया गया कि बाल सम्प्रेक्षण गृह, एवं नारी शरणालय में निरूद्ध महिलाओं एवं बच्चों
को अस्वस्थ महसूस करने पर तत्काल चिकित्सीय जांच व उचित चिकित्सा उपलब्ध करायें, बाल सम्प्रेक्षण गृह, एवं नारी शरणालय परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें, सोशल डिस्टेंसिग का पालन करें, भीड़ में बिना मास्क के न रहें, सैनेटाइजर का उपयोग अवश्य करें एवं किसी भी प्रकार की विधिक सहायता एवं समस्या हेतु जिला विधिकसेवा प्राधिकरण, से सम्पर्क करें।
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