रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*जिले में ऑक्सीजन की नही हो पा रही पूर्ति,तड़प तड़प के थम रहीं सांसे*
अम्बेडकरनगर।कोरोना के तेजी से बढ़ते मरीजों से स्थिति एक बार फिर चरम पर पहुंच गई है। इस स्थिति से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है। महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच जिले में कोरोना मरीजों को बचाने के लिए ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं। कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन संजीवनी का काम रही है, लेकिन जिलें में ऑक्सीजन के संकट से मरीजों की जान पर आफत मंडराने लगी है।बढ़ते कोरोना के कहर के साथ प्राणवायु यानि ऑक्सीजन की बढ़ी मांग ने जिला प्रशासन की सारी तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है। एक साल से अधिक समय से कोरोना के संक्रमण को रोकने और बेहतर इलाज तैयारी करने वाले जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई है।सच तो यह है कि अब न तो किसी को बेड मिल पा रहा है और ना ऑक्सीजन ही उपलब्ध हो पा रहा है। ऑक्सीजन के उपलब्धता का सच यह है कि जिला अस्पताल का प्लांट बंद पड़ा है और शासन के निर्देश पर मेडिकल कॉलेज में निर्माणाधीन प्लांट की रफ्तार सुस्त है। अब ले देकर टांडा के ऑक्सीजन प्लांट पर ही जिले भर की निर्भरता है प्रशासन ने प्राइवेट दुकानों की सप्लाई रुकवा कर केवल अस्पतालों की ही सप्लाई को सुनिश्चित कराया है। फिर भी स्थिति काबू में नहीं है। लोग ऑक्सीजन के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। ऑक्सीजन के अभाव में लोगों की सांसे थम रही हैं। टांडा कस्बे के तेज प्रकाश जयसवाल की मौत इसका ताजा उदाहरण है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से भरसक प्रयास किया जा रहा है। जिला प्रशासन के दावे के अनुसार 30 जंबो और 80 छोटे सिलेंडर ऑक्सीजन की उपलब्धता है। ऑक्सीजन की कमी से प्रशासन ने इंकारकियालेकिन नहीं मिलता रेगुलेटर: जिले में केवल ऑक्सीजन मिल जाने से ही किसी की जान नहीं बचा पा रही है। कारण ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध होता है तो मरीज को लगाने के लिए रेगुलेटर आड़े आ जाता है। मरीजों को रेगुलेटर की सेल्फ व्यवस्था करनी पड़ती है। इसकीबानगीजिलाअस्पतालहैजिलाअस्पताल में पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है, लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त बेड लगाना पड़ता हैअतिरिक्त बेड लगाने पर रेगुलेटर की आवश्यकता होती हैअपेक्षित मात्रा में रेगुलेटर न होने की दशा में मरीजों को रेगुलेटर की व्यवस्था करनी पड़ती है। बीते दिनों पड़ोसी जनपद सुल्तानपुर के एक वृद्ध को तब ऑक्सीजन सिलेंडर लग पाया था जब उसके पुत्र ने बाहर से रेगुलेटर की व्यवस्था की थी। दुखद पहलू यह है कि वृद्ध की मौत भी हो गई और बाहर से लाया गया रेगुलर भी चोरी हो गया था।सीएमएस बोले-‘मरीज बढ़ने पर समस्या होती है, लेकिन किसी मरीज को रेगुलेटर लाने को नहीं कहा जाता है। फिलहाल जिला अस्पताल में अब ऑक्सीजन की कमी नहीं है।
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