रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ बेनकाब भ्रष्टाचार अंबेडकर नगर *खेला होबे के लिए रात भर ‘कुंडी खटकाते रहे ‘प्रत्याशी…!*

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रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*खेला होबे के लिए रात भर ‘कुंडी खटकाते रहे ‘प्रत्याशी…!*
अम्बेडकरनगर। मतदान की पूर्व रात्रि में मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए उम्मीदवार रतजगा कर अपने अपने तुरुप के पत्ते खूब चले। ‘खेला होबे के लिए ‘प्रत्याशी ‘रात भर मतदाताओं के दरवाजे की ‘कुंडी खटकाते रहे।जी हां! आलापुर तहसील क्षेत्र में मतदान के एक दिन पहले बुधवार की रात में प्रत्याशियों द्वारा अंतिम क्षणों में मतदाताओं को अपने अपने पाले में करने के लिए रतजगा करते हुए साम दाम दंड और भेद की नीति से मतदाताओं पर डोरा डाला गया। बुरे वक्त पर काम आने की बात याद दिलाते हुए अंत समय तक भावनात्मक रूप से भी लोगों को जोड़ने की कवायद उम्मीदवार करते दिखे। बताया जाता है कि तमाम गावों में उम्मीदवारों ने मठाधीशों और गरीब तबके के मतदाताओं को रात में रुपये और शराब बांटे। कहीं कहीं पर अंगूठी भी उम्मीदवारों द्वारा चोरी छिपे बांटा गया। समर्थक मतदाताओं में विरोधी उम्मीदवार सेंध न लगा पाए इसके लिए प्रत्याशी और उनके परिजन रात भर रखवाली करते रहे। पंचायत चुनाव का अधिकृत रूप से प्रचार 27 अप्रैल की शाम पांच बजे समाप्त हो गया था। उसके बाद शेष 38 घंटे का समय भी काफी अहम रहा। इससे पहले की तमाम कवायद को पीछे छोड़कर जिला पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार का तरीका भी बदला नजर आया। चुनावी बाजी जीतने के लिए नए समीकरण भी बनाए गए। अपने दूतों के माध्यम से आखिरी समय तक पाशे फेंककर समीकरण बदलने की कोशिश की गई। ऐसे में सजातीय वोटों के ठेकेदार भी और सक्रिय हो गए। उन्होंने प्रत्याशियों को समीकरण समझाते हुए वोट दिलाने के वायदे किए। कुछ प्रत्याशियों ने भी ऐनवक्त पर हाथ जोड़कर और पैर छूकर आशीर्वाद मांगते हुए रूठों को मनाते रहे। मतदाता ग्राम पंचायत में पांच साल सुनते और देखते रहे। कई पुराने वादे भूलकर नए लेकर मैदान में आए तो बहुत नए-नए प्रत्याशियों ने मतदाताओं को खूब सपने दिखाए। चुनाव प्रचार भी खूब हुआ, लेकिन मतदाता जिस पल के इंतजार में थे वह आ गया। बुधवार की रात तो गांव में कोई सो ही नहीं पाया। चुनाव प्रचार तो काफी दिनों से हो रहा था, लेकिन पिछले पंद्रह दिनों से तो घमासान ही मच गया। 29 तारीख की तरफ बढ़ते दिन प्रत्याशियों की धड़कन बढ़ाते रहे। हर दिन गांवों का चुनावी माहौल बनता और बिगड़ता गया। एक एक मतदाता को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी लगे रहे तो मतदाता भी प्रत्याशियों को देखते रहे।

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