रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ बेनकाब भ्रष्टाचार अंबेडकर नगर *कब होंगी पूरी व्यवस्थायें,पानी के लिए भी तरस रहे हाकिम*

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रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*कब होंगी पूरी व्यवस्थायें,पानी के लिए भी तरस रहे हाकिम*
अंबेडकरनगर।कोरोना बचाव हेतु सूबे की सरकार जहाँ एक तरफ समुचित व्यवस्था होने की दावा करती है तो वहीं दूसरी तरफ जिले का स्वास्थ्य महकमा कोविड संक्रमित मरीजों के जीवन के साथ भद्दा मजाक कर रहा है। सरकारी आंकड़ों में तो जिले में लेबल 2 के दो अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है लेकिन यहदावा करने वाला स्वास्थ्य विभाग मरीजों को आवश्यक सुविधाएं ही नहीं प्रदान कर पा रहा है। मरीजों की
देखभाल के लिए लगे चिकित्सक व चिकित्सकीय कर्मी भी विभागीय उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर हैं। मुख्य।चिकित्सा अधिकारी की दादागिरी इतनी कि यदि चिकित्सकअथवाचिकित्सकीय कर्मी अपनी पीड़ा को कहना भी चाहते हैं तो उसका समाधान करने के बजाएउन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि देने की धमकी दी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की इस कार्यप्रणाली से चिकित्सकों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है और हालात ऐसे ही रहे तो जिला अस्पताल के चिकित्सक कभी भी हड़ताल पर जाने का ऐलान कर सकते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन टांडा में स्थित 200 बेड के
एमसीएच विंग को स्पेशल कोविड-19 अस्पताल बनाकर level-2 का दर्जा दिया गया है। level-2 का दर्जा उन अस्पतालों को मिलता है जहां पर वेंटीलेटर के साथ-साथ उसे ऑपरेट करने के समस्त मानक पूरे हों।इसके अलावा समस्त पालियों में फिजीशियन की ड्यूटी अनिवार्य रूप से लगाई जाए लेकिन यहां पर तो कागजों में L2 का संचालन किया जा रहा है । यंहा सुविधाएं कैसी हैं अब उस पर भी नजर डालते हैं । इस एमसीएच विंग मे ऐसे चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है जो इस प्रकार का इलाज करने में दक्ष नहीं है। जिला अस्पताल के दो हड्डी केडॉक्टर,एकरेडियोलॉजिस्ट, एक नाक कान गला रोग विशेषज्ञ व एक बाल रोग विशेषज्ञ को level-2 के इस अस्पताल में ड्यूटी पर लगाया गया है । उनके साथ कुछ एमबीबीएस चिकित्सकों को भी लगा दिया गया है। फिजीशियन के अभाव में level-2 के इस अस्पताल में गंभीर रूप से संक्रमित कोविड-19 के मरीजो का इलाज कैसे हो रहा होगा, यह सोचनीय है। नियमतः हर पाली में फिजीशियन का होना आवश्यक है तथा किस मरीज मरीज को किस प्रकार की दवा दी जानी है इसका निर्धारण भी फिजीशियन के द्वारा ही किया जा सकता है लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी अथवा प्रशासनिक अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं दिखता । लेवल दो का लेवल लगाकर संचालित यह
अस्पताल गैर विशेषज्ञ चिकित्सकों के सहारे चलाया जा रहा है। लेवल 2 के इस अस्पताल में यदि मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी तो उसका इलाज यहां संभव नहीं हो पाता क्योंकि वेंटीलेटर होने के बावजूद भी उसे चलाने वाला यहां पर कोई नहीं है। सवाल यह उठताहै कि यदि लेवल टू के इस अस्पताल में वेंटीलेटर का संचालन नहीं किया जा रहा है तो इसे लेवल 2 का दर्जा
कैसे दे दिया गया। यहां पर भर्ती होने वाले मरीजों को वही सुविधाएं प्राप्त हो पा रहीहैजोजिलाचिकित्सालयमें भर्ती मरीजों को मिल रही है। यहां आने वाले मरीजों को केवल ऑक्सीजन लगाकर छोड़ दिया जाता है। दवाओं के मामले में यहां पर भी वही दवाई उपलब्ध है जो जिला चिकित्सालय में उपलब्ध हैं। कोरोना से गम्भीर रूप से संक्रमित हुए मरीजों के इलाज के लिए यहां कोई
भी ऐसा इंजेक्शन व दवा उपलब्ध नहीं है जिससे मरीज की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। यही कारण है कि इसमें भर्ती मरीजों की मौत ज्यादा हो रही है। यहां पर चिकित्सको और चिकित्सा कर्मियों के लिए भी कोई।व्यवस्था उपलब्ध नहीं है ।सूत्रों की माने तो यहां पर पीपीईं किस की उपलब्धता भी बेहद कम है।चिकित्सकों को हाथ मे लगाने के लिए ऐसे ग्लब्स दिए गए हैं जो स्टाफ नर्स लगाती है । यह ग्लब्स चिकित्सकों
के हाथ में नहीं जाते । इसके अलावा मास्क की आपूर्तिसंतोषजनक नहीं है। एक चिकित्सक ने बताया कि ड्यूटीकरने वाला चिकित्सक व स्टाफ नर्स यंहा पानी के लिए तड़फता रहता है। यंहा पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।सफाई के मामले में भी यहा हालत दयनीय है । चतुर्थ श्रेणी का एक ही कर्मचारी मरीजों को अंदर ले जाता है
तथा वही मृत्यु के बाद मरीजों को बाहर ले जाता है। उसी के जिम्मे साफ सफाई का भी कार्य है । अब एक ही
व्यक्ति हर जगह की व्यवस्था कैसे देख सकता है। व्यवस्थाओं के अभाव में व्यवस्था देने का दम्भ भरने वाला जिले का स्वास्थ्य महकमा शासन को गुमराह कर कोविड संक्रमितों की जान के साथ खेल रहा है। देखना यह है कि उसका यह खेल कब तक जारी रहता है। यंहा यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि इस कोविड हास्पिटल का निरीक्षण करने वाला कोई भी अधिकारी,चाहे वह सीएमओ ही क्यों न हों, आज तक भर्ती मरीजो के पास
तक जाकर उनकी स्थिति जानने की हिम्मत नही जुटा सका है।

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