रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*महिलाओं की सुरक्षा विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया*
अम्बेडकरनगर।माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद एवं जनपद न्यायाधीश, महोदय,
अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज
दिनांक 26.03.2021 को जनपद अम्बेडकरनगर में गठित शेल्टर होम्स निरीक्षण कमेटी द्वारा जनपद अयोध्या में स्थित महिला शरणालय एवं बाल सम्प्रेक्षण गृह का निरीक्षण शेल्टर होम्स कमेटी की अध्यक्ष श्रीमती पूजा विश्वकर्मा, अपर जिला जज, पॉक्सो द्वितीय, विशेष न्यायाधीश एन०डी०पी०एस०/गैंगेस्टर अधिनियम, अम्बेडकरनगर एवं सदस्य श्री अशोक कुमार-XII, सचिव/सिविल जज(सी०डि0), जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर व सुश्री प्रीती भूषण,सिविल जज जूडि0, टाण्डा, अम्बेडकरनगर द्वारा किया गया। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लॉन आफ एक्शन 2020-21 के अनुपालन में डॉ0 बब्बू सारंग, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के आदेशानुसार बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या में किशोर न्याय विषय पर विधिक साक्षरता शिविर एवं महिला शरणालय, अयोध्या में कार्यस्थल पर
महिलाओं की सुरक्षा विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में श्री अशोक कुमार-XII, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, श्री के0बी0 मिश्र, अधीक्षक, बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या, इशरतुल्लाह एवं विकास सिंह सहित कर्मचारीगण उपस्थित थे।श्री अशोक कुमार-XII, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,
अम्बेडकरनगर ने बाल सम्प्रेक्षण गृहअयोध्या में विषय पर विधिक साक्षरता शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया कि जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून-विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृ
ष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है। भारत में किशोर न्याय अधिनियम 1986 (संशोधित 2000) के अनुसर 16 वर्ष तक की आयु के लड़कों एवं 18 वर्ष तक की आयु की लड़कियों के अपराध करने पर बाल अपराधी की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है। बाल अपराध की अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। इस आधार पर किसी भी राज्य द्वारा निर्धारित आयु सीमा के अन्तर्गत बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य बाल अपराध है प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा महिला शरणालय, अयोध्या में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा विषय पर जानकारी देते हुये बताया गया कि “महिलाओ को हक प्रदान करने के लिये संविधान में कई कानून पारित किये गये हैं। महिलाओं का उत्थान सिर्फ गोष्ठियों के आयोजन करने से नहीं किया जा सकता है। हमें महिलाओं को उनका सही हक दिलाने के लिये अपने घर से ही शुरूआत करनी होगी। अपनी बेटी को उसका
पूरा अधिकार दें, उसे खूब पढ़ायें-लिखायें और पुरुषों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास में सहयोग करने हेतु प्रेरित करें, हम सभी को लड़कों एवं लड़कियों में समानता लानी होगी अपनी सोच को बदलते हुए दोनों को एक ही नजरिये से देखना होगा। विज्ञान ने भी इस तथ्य को साबित किया है कि जितनी क्षमता पुरुषों में होती है उतनी ही स्त्रियों में भी। इसलिये अब हमें भेद-भाव की सोच से आगे बढ़ना होगा उन्होंने बताया कि सन् 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को पारित किया गया जिन संस्थाओं में 10 से अधिक लोग कार्य करते हैं उन संस्थाओं पर यह अधिनियम लागू होता है। इसका उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की
रोकथाम,निषेध एवं निवारण को स्पष्ट करता है। और उल्लंघन के मामले में पीड़िता को निवारण प्रदान करने का कार्य करताहै। सचिव महोदय ने महिलाओं को उनके
अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि आप लोग प्रण करें कि आप अपने आपको कमजोर नहीं समझेंगे क्योंकि कोई हमारा शोषण तभी कर सकता है जब हम इसे अपना भाग्य मानकर सहते हैं।
- अम्बेडकर नगर