विश्व स्वास्थ्य दिवस ( 7 अप्रैल ) पर विशेष
*खुद स्वस्थ रहें तथा दूसरों को भी करें स्वास्थ्य के लिए प्रेरित*
अश्विनी कुमार पाण्डेय ब्यूरो चीफ
– इस वर्ष की थीम है ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण’
– कोरोना अनुकूल व्यवहार पर दे ध्यान, करें भारत को कोरोना मुक्त
*संतकबीरनगर, 6 अप्रैल 2021।*
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मोहन झा ने कहा कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त निर्देशों के आधार पर कई देश अनेक प्रकार के अभियान भी चला रहे हैं, जिसमें अपेक्षित सफलता भी मिली है। भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। कोरोना रोकने वाला टीका बनाकर भारत के वैज्ञानिकों ने विश्व में अपना नाम रौशन किया है। भारत का स्वभाव सदैव ही सर्वे संतु निरामयाः वाला रहा है। इस बार भी भारत ने विश्व के अनेक देशों में वैक्सीन पहुंचाकर विश्व को निरोग रखने का अपना संस्कार कायम रखा है। हमें इस दिशा में निरन्तर प्रयास करना होगा कि हम खुद स्वस्थ रहें और दूसरों को भी स्वस्थ रखें।
डॉ मोहन झा ने आगे बताया कि इस वर्ष विश्व स्वास्थ दिवस की यह थीम – ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण’ है। इस ध्येय वाक्य को ध्यान में रखते हुए हमें स्वास्थ्य की समस्याओं से लड़ना है। वर्तमान में एक और बड़ी स्वास्थ्य समस्या मानसिक तनाव की भी है। तनाव के कारण भी कई व्यक्ति अनेक बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं. जिसके चलते मधुमेह, रक्तचाप आम बीमारी सी होती जा रही हैं। आज विश्व के लगभग सभी देशों में 3 से 12 प्रतिशत व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में हैं। इस बीमारी के बारे में यही कहा जाता है कि यह अनुवांशिक होती है, लेकिन आजकल मधुमेह की बीमारी का कारण खानपान में लापरवाही और शारीरिक निष्क्रियता भी है। व्यक्ति को कितना खाना और कितना श्रम करना इसका एक निर्धारित परिमाण है, लेकिन आज के व्यक्ति यह परिमाण या तो भूल गए हैं या फिर लापरवाह हो गए हैं। जिसके कारण शारीरिक असमानता भी एक विकार बनकर उभर रही है। यह बीमारी का बड़ा कारणहै। निरन्तर बढ़ रहा कोरोना भी हमारे लिए समस्या है। इसलिए कोरोना अनुकूल व्यवहार पर विशेष ध्यान दें।
*दिनचर्या में बदलाव करके जीएं स्वस्थ जीवन – डॉ पाण्डेय*
एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज डॉ वी पी पाण्डेय कहते हैं कि भारतीय चिंतन के अनुसार स्वस्थ जीवन जीने के कुछ आवश्यक दिनचर्या बनाई गई है, उसके अनुसार जीवन जीने वाला व्यक्ति अपने शरीर को लेकर बहुत ही जागृत रहता है। इस दिनचर्या के अनुसार अगर दिन के 24 घंटों को विभाजित किया जाए तो यही कहना समुचित होगा कि आठ घंटे अपने लिए, आठ घंटे समाज के लिए और आठ घंटे परिवार के लिए होने चाहिए। कई लोग सुबह का उगता हुआ सूरज नहीं देख पाते। इसका एक मात्र कारण रात्रि में देर तक जागना ही है। जिसके कारण भोजन पचाने की शारीरिक क्षमता कम होती जाती है। शरीर के स्वास्थ्य के लिए कैसा आहार लेना चाहिए, इसकी जानकारी का अभाव बढ़ता जा रहा है. आहार की शुद्धता बहुत ही आवश्यक है।
*मजबूत करें इम्यूनिटी, भगाएं क्षय रोग – डॉ ओझा*
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा बताते हैं कि हमें अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करते हुए क्षय रोग को 2025 तक भारत से समाप्त कर देना है। जनपद में क्षय रोग से लड़ने की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। किसी को भी दो सप्ताह तक खांसी, बलगम, अनियमित बुखार, सांस लेने में परेशानी तथा अन्य समस्याएं आती हैं तो उसकी टीबी की जांच अवश्य कराएं। आजकल बाजारों में चाट बाजारों में लगने वाली भीड़ यही प्रमाणित करती है कि हमारा खानपान दूषित हो चुका है। मैदा से निर्मित पदार्थों को पचाने के पाचन तंत्र को कठिनाई होती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मैदा निर्मित खाद्य पदार्थ पच ही नहीं पाते। जिससे हम मोटापे का शिकार होते जा रहे हैं। हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती जा रही है। जिससे हम कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।