ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है? आसान समझ

सिर्फ़ शब्द सुनकर थक गए हैं? चलिए सरल शब्दों में बात करते हैं। जब किसी शेयर, बॉन्ड या किसी और फ़ाइनेंशियल प्रॉडक्ट की कीमत दो अलग‑अलग बाजारों में अलग दिखती है, तो उस अंतर को ग्रे मार्केट प्रीमियम कहते हैं। यानी, एक जगह मूल्य थोड़ा ज़्यादा और दूसरी जगह थोड़ा कम।

ग्रे मार्केट प्रीमियम कैसे बनता है?

बाजार तो हमेशा खुला रहता है – लेकिन हर जगह की रेगुलेशन एक जैसी नहीं होती। कुछ मार्केट में ट्रेडिंग नॉर्म्स सख़्त होते हैं, तो कुछ में लचीलापन रहता है। जब निवेशक किसी सीमित (ऑफ़िशियल) बाजार में शेयर नहीं ले पाते या कीमत बहुत उच्च लगती है, तो वे समान प्रोडक्ट को ग्रे मार्केट में ढूँढते हैं। ग्रे मार्केट में कम नियम या कम टैक्स हो सकता है, इसलिए कीमतें कभी‑कभी थोड़ी कम या ज्यादा हो जाती हैं। फिर भी, अगर ग्रे मार्केट में कीमत अधिक है, तो वो प्रीमियम बन जाता है।

एक और बात – सप्लाई‑डिमांड का असर। अगर किसी कंपनी के शेयर की उच्च मांग है पर आधिकारिक मार्केट में सर्कुलेशन कम है, तो ग्रे मार्केट में लोग अधिक कीमत देने को तैयार होते हैं। इससे प्रीमियम बढ़ता है।

निवेशकों के लिए क्या मतलब है?

पहला फ़ायदा – विकल्प। अगर आप आधिकारिक बाजार में नहीं खरीद पा रहे, तो ग्रे मार्केट में मौका मिला तो आप अपने पोर्टफ़ोलियो को diversified रख सकते हैं। दूसरा – जोखिम। ग्रे मार्केट में कम रेगुलेशन का मतलब है कि धोखा‑धड़ी या प्रॉसेसिंग इश्यूज़ का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए जितना प्रीमियम आप चुकाते हैं, उतना ही संभावित नुकसान भी हो सकता है।

तीसरा – टैक्स इम्पैक्ट। कुछ देशों में ग्रे मार्केट ट्रांज़ैक्शन पर कम टैक्स लगता है, जिससे प्रीमियम को थोड़ा कम करने में मदद मिलती है। लेकिन अगर बाद में ये ट्रांज़ैक्शन आधिकारिक बाजार में बदलता है, तो टैक्स री‑एजमेंट हो सकता है।

अंत में, अगर आप प्रीमियम को कम करने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले मार्केट की लिक्विडिटी देखिए। हाई लिक्विडिटी वाला ग्रे मार्केट अक्सर कम प्रीमियम रखता है, क्योंकि ट्रेडर्स जल्दी‑जल्दी खरीद‑बेच कर सकते हैं। साथ ही, विश्वसनीय ब्रोकर या प्लेटफ़ॉर्म चुनिए जो पारदर्शी फीस रखता हो।

सारांश: ग्रे मार्केट प्रीमियम सिर्फ़ मूल्य का अंतर नहीं, बल्कि सप्लाई‑डिमांड, रेगुलेशन और टैक्स का मिश्रण है। इसे समझकर आप बेहतर निवेश फैसले ले सकते हैं, या तो प्रीमियम के साइड में चलकर फायदेमंद डील ले सकते हैं या फिर बच सकते हैं जब जोखिम ज्यादा हो। ऐसा नहीं कि ग्रे मार्केट हमेशा बुरा है, पर सोच‑समझ कर कदम बढ़ाना ज़रूरी है।

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23 सितंबर 2025

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अडित्या इन्फोटेक का आईपीओ 5 अगस्त 2025 को BSE और NSE पर 50‑51% के जबरदस्त लाभ के साथ लॉन्च हुआ। 1,300 करोड़ रुपये की पेशकश 106.23 बार अधिक माँग से ओवरसब्सक्राइब हुई, जिससे यह वर्ष का सबसे सफल डेब्यू बना। क्यूआईबी, गैर‑संस्थागत और खुदरा निवेशकों ने भारी रुचि दिखाई। ग्रे मार्केट प्रीमियम 300‑305 रुपये के आसपास दर्ज हुआ, जो इश्यू प्राइस पर 45% का मार्क‑अप दर्शाता है।

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