रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ बेनकाब भ्रष्टाचार अंबेडकर मगर *प्रवेश और पुस्तकों के बिना ऑनलाइन पढाई का आदेश बेमानी-उदयराज मिश्र*

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रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर मगर
*प्रवेश और पुस्तकों के बिना ऑनलाइन पढाई का आदेश बेमानी-उदयराज मिश्र*
जहाँगीरगंजअम्बेडकरनगर:प्रदेश सरकार द्वारा 20 मई के पश्चात प्राथमिक विद्यालयों को छोड़कर शेष विशेषकर माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढाई शुरू किए जाने का आदेश हुक्मरानों की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञता और विद्यार्थियों के प्रति खुली बेमानी जैसा है।ये उद्गार माध्यमिक शिक्षक संघ,अम्बेडकर नगर के जिलाध्यक्ष व राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्राप्त उदयराज मिश्र ने व्यक्त किये।श्री मिश्र माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन शिक्षण हेतु चयनित उत्कृष्ट शिक्षकों के पैनल में भी वरिष्ठ सदस्य हैं।गौरतलब है कि विगत मार्च माह से ही कोरोना के पुनः प्रचरण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी तरह की परीक्षाओं को स्थगित करते हुए औरकि कक्षा 10 व 12 को छोड़कर शेष कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को कक्षोन्नत करने का फरमान जारी किया था।जिसके चलते न तो बोर्ड परीक्षाएं हो सकीं और न ही कोरोना के चलते नवीन छात्रों का अगली कक्षाओं में प्रवेश ही हो सका।और तो और बची खुची कसर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों ने पूरी कर दी।जिसमें पूरा माध्यमिक शिक्षा विभाग ही मतगणना तक उलझा रहा।ऐसे में शिक्षकों को कक्षा 7,8 व 9 तथा 11 के कक्षोन्नत विद्यार्थियों का न तो रजिस्टर पर पूरा विवरण ही मिल सका और न नए कक्षाध्यापकों सहित विषयाध्यापकों को इनके मोबाइल नम्बर ही मिल सके।मजेदार तथ्य तो ये है कि जबतक कक्षा 10 की परीक्षा नहीं हो जाती तबतक कक्षा 11 का न तो प्रवेश हो सकता है और न पढाई ही। ऑनलाइन पढाई को मौजूदा सूरतेहाल में छात्रों के साथ नाइंसाफी बताते हुए उक्त शिक्षक नेता ने बताया कि कक्षा 10 व 12 का पाठ्यक्रम बदल गया है।जिससे जो छात्र 9 व 11 से कक्षोन्नत होकर अगली कक्षाओं में गए हैं न तो उनके पास नई पुस्तकें हैं और न अध्यापकों के ही पास हैं।यही नहीं बाजार बंद होने से बाजारों में भी नवीन पाठ्यक्रम की पुस्तकें मिलनी सम्भव नहीं हैं।ऐसे किस पाठ्यक्रम से किस विद्यार्थी को शिक्षक पढ़ाएं यही स्प्ष्ट नहीं है।गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद में कक्षा 10 व 12 के विद्यार्थियों को कक्षोन्नत किये जाने की अबतक कोई व्यवस्था न होने से अभी परीक्षाओं पर ही संशय मंडरा रहे हैं।ऐसे में ऑनलाइन पढाई का हुक्म किसी छलावे से कम नहीं है।

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