रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ बेनकाब भ्रष्टाचार अंबेडकर नगर *कोरोना की दूसरी लहर के आगोश में अम्बेडकरनगर घिरता चला जा रहा*

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रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*कोरोना की दूसरी लहर के आगोश में अम्बेडकरनगर घिरता चला जा रहा*
अंबेडकरनगर।कोरोना की दूसरी लहर के आगोश में अम्बेडकरनगर घिर चुका है।अस्पतालों में बेड नहीं है तो श्मशान घाट पर भी लंबा इंतजार चल रहा है।कोरोना संक्रमण के कारण आम लोग से लेकर वीआईपी तक लाचार है। दर्जनों संख्या से ज्यादा बड़े भी अधिकारी कोरोना की चपेट में हैं, तो वहीं कई की मौत हो चुकी है।
कोरोना संक्रमित मरीजों को निर्धारित अस्पताल में बेड उपलब्ध करा पाने में सीएमओ कार्यालय को पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। यही कारण है कि नान कोविड-19 अस्पताल घोषित किए गए जिला चिकित्सालय में संक्रमित मरीजों को भी भर्ती कराने के लिए दबाव बढ़ा है। इससे जहां स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है तो वही इमरजेंसी में भर्ती अन्य मरीज भी संक्रमण की जद में आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल को नान कोविड की श्रेणी में रखा गया है। ऐसी स्थिति में यहां कोविड संक्रमित मरीज को नहीं रखा जा सकता। यदि बिना जानकारी के कोई मरीज भर्ती हो जाता है तो कोरोना की पुष्टि होते ही उसे तुरंत रेफर कर दिया जाता है। इसके बावजूद यहां पर संक्रमित मरीजों के आने का सिलसिलाजारी है। इसके पीछे भी सीएमओ के अधीन काम कररहे कर्मचारियों की मनमानी ही है। कोविड पॉजिटिव पाए जा रहे ऐसे मरीज जो लोग होम आइसोलेशन में हैं, उनकी निगरानी के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर क्यूआरटी की टीम बनाई गई है। नियमतः इस टीम को होम
आईशोलेशन में रह रहे लोगों की नियमित जानकारी रखनी चाहिए लेकिन संक्रमण के दूसरे दौर में यह टीमपूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी है।अकबरपुर विकासखंड की क्यू आरटी टीम एकदम काम नहीं कर रही।ऐसी स्थिति में होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजअपने स्तर से दवाओं का सेवन करते हैं और हालत बिगड़ने पर वह सीधे जिला अस्पताल की तरफ रुख कर लेते हैं। उन्हें आक्सीजन की आवश्यकता होती है जो जिला अस्पताल में आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है। ऐसे लोग ही सही समय पर सही इलाज न मिल पाने के
कारण दम तोड़ रहे हैं जिसका कोई रिकार्ड कोविड पोर्टल पर नही होता। ऐसा करने से जंहा मौतों का आंकड़ा नही बढ़ पा रहा है वंही प्रशासन पर कोई दबाव नही पड़ रहा। सीएमएस ने लोगो से अपील की है कि वह
कोरोना संक्रमित को लेकर जिला अस्पताल न आएं।गौरतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए अस्पताल प्रशासन पर भारी दबाव भी पड़ता है जो उचित नही है। कोविड की पुष्टि हो चुके मरीजो की हर व्यवस्था के लिए सीएमओ ही जिम्मेदार होते हैं।प्रश्न यह है कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों का फॉलो अप करने वाली क्यूआर टीम के प्रति सीएमओ के स्तर से अब तक क्या कार्यवाही की गई ? क्या सीएमओ ने इस टीम के कारनामो को जानने की कभी कोशिश की,शायद जबाब न में आएगा।

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