*भारत के अमूल्य रत्न डॉक्टर बी.आर.अम्बेडकर -सोनिया
अश्विनी कुमार पाण्डेय ब्यूरो चीफ
राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राष्ट्र निर्माण में बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी का बहुत ही अमूल्य योगदान है बाबा साहब दुनिया के एक आएसे व्यक्ति है जिनका जन्म दिन दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है बाबा साहब का सम्पूर्ण जीवन गरीब शोषित,, पिछड़े, जातियों के भलाई के लिए जीवन संघर्ष का काम किया है।बाबा साहब दुनिया के बहुत बड़े शिल्पकार थे । बाबा साहब विश्व रत्न,बोधिसत्व
, ,विधिवेता, और बहुत बड़े अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, दार्शनिक, लेखक, राजनेता, समाज सुधारक, समाजशास्त्रीय, मानव विज्ञानी, धर्मशास्त्री, इतिहासविद, प्रोफ़ेसर और संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर बी.आर.अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल सन् 1891 में मध्यप्रदेश के महू गांव में हुआ था। इनके पिता श्री रामजी मालो जी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई मूरवादकर था ।
यह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी संघर्ष कर ना केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि समाज को भी शिक्षित किया। बाबा साहब को बचपन में अनेक आर्थिक व सामाजिक विषमताओं का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी पढ़ाई बहुत ही विषम परिस्थितियों में प्रारंभ की थी। दलित समाज के उत्थान और उन्हें जागरूक करने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का योगदान अतुलनीय था । बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की एक ऐसी अद्भुत मिसाल है। जो शायद ही कहीं और देखने को मिले।
बाबा साहब बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र में विधि तथा राजनीति विज्ञान के शोध कार्य किए
भारत के प्रथम विधि तथा न्याय मंत्री थे ।
बाबा साहब हमेशा से नई तकनीक के पक्षधर थे उन्होंने देश के तकनीकी विकास के लिए सदैव संकल्पित थे उन्होंने अपने संसदीय चुनाव (1951) में पहले घोषणा पत्र में कहा था कि खेती में मशीनों का प्रयोग होना चाहिए अगर भारत के खेती के तरीके आदिम बने रहेंगे तो कृषि कभी भी समृद्ध नहीं हो पाएगी । मशीनों का प्रयोग संभव बनाने के लिए छोटी जोत के बजाय बड़ी खेतों पर खेती की जानी चाहिए। मानवाधिकार जैसे दलित और दलित आदिवासियों का मंदिर में प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जात-पात और ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियां को समाज से मिटाने बहुत कार्य किया । उन्होंने मनुस्मृति दहन (1927) महाड सत्याग्रह(1928)नाशिक सत्याग्रह, (1930) जैसे कई आंदोलन चलाए । उन्होंने बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मूकनायक, समताजनता और प्रबुद्ध भारत नामक साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र पत्रिकाओं का भी संपादन किया। उन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूल, ग्रंथालय तथा शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कमजोर वर्ग के छात्रों को अध्ययन करने तथा साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया। सन 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के जरिए मुंबई में सिद्धार्थ महाविद्यालय और औरंगाबाद मिलिंद महाविद्यालय की स्थापना की। संहिता हिंदू विधेयक के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर कार्यान्वयन कर संघर्ष किया।
भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना किए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की रचना “रूपये की समस्या और उद्भव और उसके प्रभाव, “भारतीय बैंकिंग का इतिहास और हिल्टन यंग कमीशन के साक्ष्य के आधार पर 1935 में हुई।
ब्रिटिश भारत के प्रांतीय वित्त का विकास के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई। वर्ष 1945 में अपने देश की जलनीति के लिए तथा औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियों जैसे नदीनालों को जोड़ना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोननदी घाटी परियोजना ,राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए वर्ष 1944 में प्रस्तावित केंद्रीय जल मार्ग और सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वायसराय की ओर से अनुमोदित किया गया और बड़े बांधों तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया गया। बाबा साहब गरीब ,मजलूम बेसहारा,महिलाओ के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया।
- संत कबीर नगर