त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना हुई सफल बहराइच नवाबगंज
बेनकाब भ्रष्टाचार संवाददाता
बाबागंज, बहराईच :- सीमावर्ती विकास खंड नवाबगंज क्षेत्र की मतगणना आज सुबह 8 बजे से सीमावर्ती महाविद्यालय पाण्डेय नगर जैतापुर में भारी अब्यवस्थाओ के बीच शुरू हुई । मतगणना केंद्र में आठ मतगणना कक्ष बनाए गए tv है। प्रत्येक कक्ष में तीन टेबल और प्रत्येक टेबल पर पांच कर्मचारियों की ड्यूटी गणना करने के लिए लगाई गई है। वही दो प्रवेक्षक व एक एआरओ की ड्यूटी लगाई लगाई गई है। मतगणना कक्ष में भारी भीड़ देखने को मिला । सोशलडिस्टेंसिग की खूब धज्जिया उड़ी । पुलिस प्रशाशन में शिथिलता देखने को मिला । सीसी कैमरे बन्द रहे ।सीसी कैमरे की निगरानी में नही हुआ मतगणना । भीषण गर्मी होने के बाउजूद भी पंखे की भारी अब्यवस्था पाई गई जिसके कारण मतगणना कर्मचारी व जनता पसीना छोड़ते दिखे । किसी कमरे में ही सिंगल पंखे लगे दिखे जो बन्द रहे। प्रशाशनिक आदेशानुसार मतगणना केंद्र के मुख्य गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग होना था जो हवा हवाई साबित हुआ। किसी की अभिकर्ता व कर्मचारी की थर्मल स्क्रीनिंग नही किया गया। कही कहि पुलिस कर्मी भी सोते हुए मीडिया कैमरे में कैद हो गए । वही दूसरी ओर राजस्व कर्मचारी भी चिलचिलाते धूप में पसीना छोड़ते हुए दिखाई पड़े। पेय जल की अब्यवस्था भी मौके पर बनी रही। मतगणना कर्मचारीयो की शिथिलता के कारण मतगणना का रिजल्ट काफी शिथिल रहा।
बाबागंज, बहराईच :- ग्रामपंचायत गोपाल पुर में निर्वाचित प्रधान विनीता देवी पत्नी पंकज कुमार अपने प्रतिद्वंदी से 37 वोट से विजयी हुए। विनीता को 341 वोट मिले जबकि प्रतिवन्दी मोल्हे को 303 वोट पर ही सिमट गई। वही ग्रामपंचायत उमारिया के आसमा पत्नी रफीक को 783 मत मीले जबकि इनके प्रतिद्वंदी पुष्पा वर्मा को प्राप्त मत 774 वोट रहा ।9 वोटो से आसमा विजयी घोषित हुई। ग्रामपंचायत गंगापुर की निर्वाचित प्रधान आशीष पाण्डेय को 383 मत प्राप्त हुए जबकि इनके प्रतिद्वंदी नंदा देवी को 267 वोट ही प्राप्त हुए ।आशीष ने अपने प्रतिद्वंदी को 116 वोट से प्राजित किया। ग्रामपंचायत विराई गाँव से खैरुन निशा 303 वोट मिले जबकि अफरोज को 203 मत प्राप्त हुए। खैरुन निशा ने अपने प्रतिद्वंदी को 100 वोट से पराजित किया। ग्रामपंचायत चनैनी के निर्वाचित प्रधान सुनीता देवी 336 मत प्राप्त करके अपने प्रतिद्वंदी आसना खातून से 49 बोटो से विजयी घोषित हुई जबकि आसमा खातुन को 287 वोट से ही संतोष करना पड़ा।