शादी के बाद मिलना वाला दस्तावेज़, यानी विवाह प्रमाणपत्र, अक्सर कई कामों में चाहिए – पासपोर्ट बनवाना, एटीपी, या बैंक में खाता खोलना। कई लोग इसे लेकर उलझन में रहते हैं, लेकिन असल में प्रक्रिया बहुत सीधी है। चलिए, देखते हैं कौन-कौन से दस्तावेज़ चाहिए, और कैसे ऑनलाइन या ऑफिस में आवेदन कर सकते हैं।
पहले तो यह जान लेँ कि आपको कौन‑कौन से कागजात लाने होंगे:
इन दस्तावेजों को तैयार रखिए, तो आगे की प्रक्रिया में देर नहीं होगी।
अगर आप सीधे जाकर आवेदन करना चाहते हैं, तो निकटतम नगरपालिका या तहसील कार्यालय में जाएँ। वहाँ एक फॉर्म मिलेगा, उसे भरें और ऊपर बताए दस्तावेज़ संलग्न कर दें। 7‑10 कार्य दिवसों में आप अपना प्रमाणपत्र ले सकते हैं। कुछ कार्यालय में तुरंत प्रिंट भी कर देते हैं, तो पूछ लेना फायदेमंद रहेगा।
डिजिटल इंडिया के मद्देनज़र, कई राज्य आज ऑनलाइन विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
ऑनलाइन प्रक्रिया में सबसे ध्यान रखने योग्य बात – सभी दस्तावेज़ साफ़ और अच्छी क्वालिटी की स्कैन होनी चाहिए, नहीं तो रजिस्ट्रेशन रिफ़्यूल हो सकता है।
क्या शादी की कोई विशेष रिचुअल हो तो प्रमाणपत्र में लिखा जाता है? नहीं, प्रमाणपत्र में सिर्फ़ वैधानिक जानकारी जैसे नाम, उम्र, शादी की तिथि, और पते होते हैं.
यदि पति‑पत्नी में से एक के पास आधार नहीं है, तो क्या करें? निकटतम तहसील में ‘विलुप्त आधार’ या ‘स्थायी पहचान पत्र’ के रूप में रजिस्टर करवाकर आगे बढ़ सकते हैं.
पुराने प्रमाणपत्र की कॉपी चाहिए, तो क्या नई प्रक्रिया करनी पड़ेगी? नहीं, सिर्फ़ रजिस्ट्री कक्ष से कॉपी निकालवाएँ, लेकिन नई पहचान हेतु अपडेटेड प्रमाणपत्र लेना अच्छा रहेगा.
अब जब आप जानते हैं सभी ज़रूरी कदम, तो देर न करें। चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, सही दस्तावेज़ और ध्यान से भरना सबसे बड़ा काम है। शादी के बाद का यह छोटा सा पेपर आपके कई बड़े कामों को आसान बना देगा।
भारत में, एक वैवाहिक जीवन के आगे आगे बढ़ने के लिए पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए एक विवाह प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। यह आवश्यकता कई लोगों को प्राप्त करने में रुकावट पैदा कर सकती है। हालांकि, यह आवश्यकता अन्य स्थितियों में हो सकती है जैसे कि कोई आपराधिक अभियोग हो या आपराधिक अभियोग।
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