रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*भारी लश्कर के साथ प्रचार कर चुनावी दावेदार व महानगरों से आने वाले मतदाता घरों व ग्रामीण क्षेत्रों को कर रहे हैं कोरोना संक्रमित*
अंबेडकरनगर। जिले में हर दिन कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या काफी तेजी से बढ़ती चली जा रही है। ऐसे में बताया यह जा रहा है की मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों से आने वालों से कोरोना संक्रमण काफी ज्यादा फैल रहा हैं।विभिन्न गांवों में बाहर से आने वाले लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते नही दिख रहे हैं। दिल्ली व मुंबई से आ रहे ज्यादतर प्रवासी सरकार की मंशा को विफल कर रहे हैं। ट्रेन से यात्रा कर आने वालों को नियमतः 14 दिन तक होम क्वारन्टीन रहना चाहिए। हालांकि ऐसा होता नही दिख रहा है। ट्रेन व बस से आने वालों द्वारा मनमानी की जा रही है। पुलिस व प्रशासनिक टीम भी इन पर नजर नही रख रही है। बाहर से आने वाले लोग बेखौफ होकर घूम रहे हैं, और कोरोना संक्रमण को दावत दे रहे हैं। जिले के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से सख्ती बरते जाने की मांग की है। कहा कि इस मनमानी पर अंकुश न लगाया गया तो आने वाले समय में हालात ज्यादा खराब हो जाएगा। इसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ेगा। तू ही दूसरी तरफ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से जुड़े उम्मीदवार ग्रामीणों इलाकों में भारी लश्कर के साथ बिना कोई शारीरिक दूरी व मास्क के बिना प्रचार प्रसार करने के लिए घर घर में जाते हैं जिससे कोरोनावायरस फैसले का खतरा काफी ज्यादा बढ़ रहा है।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को उनके भाग्य का निशान मिल जाने के बाद वे अपनी और अपने समर्थकों के वाहनों में लगाकर चुनावी प्रचार प्रसार में तेजी ला दिये हैं। वैश्विक महामारी जहां मानव जाति के लिए काल बनी अपने चरम पर गतिमान है वहीं उम्मीदवार अपनी जीत की दावेदारी की उम्मीद बढ़ाकर बेफिकर होकर सारे प्रोटोकाल बिना मास्क के हर घर में दस्तक दे रहे हैं।दावेदार अपनी जीत के लिए मतदाताओं के हाथ पैर पकड़ कर अपने पक्ष में मतदान करने की गुजारिश कर रहे हैं। जिधर देखें उधर गाड़ियों में चुनाव निशान का स्टीकर झण्डा लगाकर घूमने वालों की होड़ लगी हुई है। अपने अपने प्रत्याशियों को जिताने की प्रत्याशा में चाय पान, शाम को दारू मुर्गा की योजना बनाकर चलने वालो की कतारें जगह जगह अपनी सुविधानुसार कार्यालय खोल वही जमें हुए हैं। कहीं कहीं तो चुनाव में खडे़ प्रत्याशियों को अपने में मिलाने की कवायद भी तेज चल रही है। समझ और समझौता का मूल मंत्र लिए समर्थकों में गुटबाजी और बाद में देख लेने के स्वर भी ग्रामीणांचल में गूंजने लगे हैं।
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