रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
बेनकाब भ्रष्टाचार
अंबेडकर नगर
*मेडिकल कॉलेज के बड़ी संख्या में चिकित्सक व स्टाफ कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने से कर रहा इंकार*
अंबेडकरनगर। कोरोना ने अपने संक्रमण की गति जिले में बहुत तेज कर दी है।एक तरफ जंहा कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए पूरा देश जद्दोजहद कर रहा है वंही अंबेडकरनगर में जिले का स्वास्थ्य महकमा तथा मेडिकल कॉलेज प्रशासन आमने सामने दिख रहे हैं।
वैसे तो प्रदेश सरकार ने मेडिकल कॉलेज को लेवल दो का 300 बेड का कोविड अस्पताल घोषित कर दिया है जिसमें 240 बेड सामान्य व साठ बेड आईसीयू के हैं। इसके सापेक्ष मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों की संख्या लगभग 100 के आसपास है लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन मरीजों को अब भर्ती करने से इनकार कर रहा है। उसका कहना है कि उसके यहां सभी बेड फुल हो गए
हैं । मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जिला अस्पताल में भर्ती गंभीर लोगों को मेडिकल कालेज के
लिए रेफर करने की सूचना दी जाती है लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन यह कहकर मरीज लेने से इंकार कर रहा
है कि उसके पास बेड नहीं है। ऐसी स्थिति में जिले का सीएमओ कार्यालय बेचारा सा बनकर रह गया है। प्रश्न यह है कि जब सरकार ने मेडिकल कॉलेज में 300।बेड का निर्देश दे रखा है तो केवल लगभग सौ मरीजों पर ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन बेड न होने की बात कैसे कर रहा है। इस संदर्भ में जब
प्रधानाचार्य डॉ संदीपकौशिक से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बड़ी संख्या में चिकित्सक व स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुके हैं इसलिए व्यवस्था करने में
दिक्कत आ रही है। जैसे ही व्यवस्था पूरी होती है मरीजों को लेने की प्रक्रिया पुनः शुरू कर दी जाएगी। गौरतलब है कि जिले में कोविड के इलाज के लिए दो अस्पतालों को level-2 का अस्पताल घोषित कर रखा गया है। इनमें टांडा में स्थित एमसीएच विंग को 100 बेड का
कोविड अस्पताल घोषित किया गया है जबकि मेडिकल कालेज को 300 बेड का कोविड अस्पताल बनाया गया है । इसके बावजूद जिला अस्पताल में उचित इलाज के अभाव में बड़ी संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं। इसके लिए
शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन सबसे ज्यादा आड़े आ रही है क्योंकि level-2 के अस्पताल किसी भी मरीज को तब तक अपने यहां भर्ती नहीं कर सकते जब तक उसकी rt-pcr की रिपोर्ट धनात्मक न पाई गई हो। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके यहां दो स्तर के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। एक तो वे जिसकी rt-pcr रिपोर्ट धनात्मक है और दूसरी वह जिसकी rt-pcr रिपोर्ट तो नेगेटिव है लेकिन उसके लक्षण तथा सीटी स्कैन की रिपोर्ट कोरोना संक्रमण कीतरफ संकेत देती है । ऐसे मरीजों के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था की गई है। फिलहाल सबके अपने-अपने तर्क हैं
लेकिन सच यही है कि व्यवस्था गत खामियों के कारण मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहा है।
- अम्बेडकर नगर