*जनपद न्यायाधीश के परामर्श से नियुक्त न्यायिक अधिकारी की देखरेख में होगी मतगणना*
*15 दिनों में पुनर्मतगणना कराके 23 अप्रैल तक कोर्ट में आख्या प्रस्तुत करने का आदेश*
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपकांत मणि ने सोमवार को नगर पालिका परिषद खलीलाबाद के चेयरमैन पद की पुनर्मतगणना कराने का आदेश दिया। उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी को 15 दिनों के भीतर पुनर्मतगणना कराके 23 अप्रैल तक आख्या कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा।
खलीलाबाद नगर पालिका परिषद का चुनाव वर्ष 2017 में हुआ था। इसमें भाजपा के प्रत्याशी श्याम सुंदर वर्मा जीते थे। दूसरे स्थान पर बसपा के जगत जायसवाल रहे। बसपा प्रत्याशी ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। अपर जिला जज दीपकांत मणि के आदेश पर दस फरवरी 2021 को पुनर्मतगणना कराई गई थी। इसमें फिर श्याम सुंदर वर्मा विजयी हुए। इसके बाद बसपा प्रत्याशी जगत जायसवाल ने फिर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। इसी मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी के जरिए कोर्ट में प्रस्तुत आख्या के बाद अपर जिला जज दीपकांत मणि ने दस फरवरी 2021 के पुनर्मतगणना के परिणाम को निरस्त कर दिया।
कोर्ट ने आदेेश में कहा कि पुनर्मतगणना के दौरान प्रयुक्त और अप्रयुक्त मतपत्रों के क्रमांक अंकित नहीं हैं। मतपत्रों के पुन: बंडल नहीं बनाए गए। इससे स्पष्ट नहीं है कि जिस प्रत्याशी का बंडल पूर्व में बनाया गया था, उसमें उसी के मतपत्र हैं। मतगणना स्थल की वीडियोग्राफी में पाया गया है कि प्रत्येक मतगणना काउंटर पर सीसीटीवी नहीं लगा था। कुछ मतगणना काउंटर की लगातार वीडियोग्राफी भी नहीं कराई गई। इससे निष्पक्ष एवं पारदर्शी मतगणना की निगरानी का उद्देश्य पूर्णत: विफल हो गया। अस्वीकृत किए गए मतपत्रों की स्पष्ट रूप से वीडियोग्राफी नहीं कराई गई। ऐसे में मतपत्रों की अस्वीकृत होने का कारण स्पष्ट रूप से नहीं माना जा सकता। कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत बूथ संख्या 24 से संबंधित लिफाफे में यह पाया गया कि अस्वीकृत मतपत्रों की संख्या 19 है, परंतु लिफाफे से प्राप्त प्रपत्र में यह उल्लेख है कि अस्वीकृत मतपत्र बंडल में नहीं पाए गए हैं।
यही नहीं, जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतगणना परिणाम आख्या दस फरवरी 2021 में बूथ संख्या 24 के 19 अस्वीकृत मतपत्रों के गुम होने के किसी तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है। गुम मतपत्रों के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी ने कोई विभागीय या वैधानिक कार्रवाई की है, इसका भी कोई उल्लेख नहीं है। इसी प्रकार बूथ संख्या 9, 28, 29, 30, 31, 34, 36, 37, 42 और 44 से संबंधित अस्वीकृत सहित अधिकांश मतपत्रों पर उनके अस्वीकृत करने के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। कुछ मतपत्रों को अस्वीकृत करने का स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया है। कोर्ट ने कहा है कि पुनर्मतगणना जनपद न्यायाधीश के परामर्श से नियुक्त न्यायिक अधिकारी की देखरेख में कराई जाए। कोर्ट ने मतपत्रों के गुम होने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रतिलिपि मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश लखनऊ को भी प्रेषित करने को कहा है। इस बाबत डीएम दिव्या मित्तल का कहना है कि कोर्ट के आदेश का परीक्षण कराया जाएगा। इसके उपरांत आगे कार्रवाई होगी।