कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत वर्ष मे तांडव मचा रखा है हर प्रदेश इस महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में इस संक्रमण से पत्रकार साथी भी अछूते नहीं रहे है हमारे कई पत्रकार साथी इस संक्रमण की चपेट में आकर अपने प्राण गवां चुके है और कई साथी वर्तमान समय में इस संक्रमण की चपेट में हैं लेकिन कोई भी अपने दायित्व से पीछे नहीं हट रहा है।आम जनमानस को सच्चाई से रोज की घटनाओं से अवगत कराना पत्रकारिता का धर्म है और हमारे पत्रकार साथी अपने इस धर्म को निभा रहे है। लेकिन इसके बावजूद भी पत्रकार साथियों को कोरोना योद्धा नहीं समझा जा रहा है।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया माननीय प्रधानमंत्री जी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से आग्रह करती है कि वह भी पत्रकार साथियों को कोरोना योद्धा का सम्मान दे।जिन पत्रकार साथियों ने इस महामारी के दौरान अपना जीवन गवां दिया है उनके परिजनो को भी कोरोना योद्धाओं के समान 50 लाख की आर्थिक सहायता दी जाये जिससे उनके परिवारों का भरण पोषण हो सके और उनके परिवार सड़क पर आने से बच जाये।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से हर कोई प्रभावित है ऐसे मे पत्रकारों व उनके परिजनों के लिए भी अस्पतालों मे बेड आरक्षित होने चाहिए और इस दौरान उनका इलाज मुफ्त होना चाहिए। राज्य के सभी सरकारी अस्पतालो व कोविड सेंटर मे कम दो बेड मिडिया कर्मियों के नाम से रिजर्व रखने की जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया मांग करती है।मीडिया कर्मी कोरोना योद्धा के रूप मे पत्रकारिता धर्म का पालन कर रहे है 24 घंटे फील्ड मे रहने के कारण बहुत से मीडिया कर्मी कोरोना की चपेट मे आ रहे हैं ऐसी स्थति मे राज्य सरकारे राजधर्म का पालन करते हुए मीडिया कर्मियों एव उनके परिवारों के प्रति सह्रदयता दर्शाए। जरूरत मंद मीडिया कर्मी एवं उनके परिजनों को कोरोना की चपेट मे आने पर उपचार के लिए भटकना नहीं पड़े इसलिए राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों मे कम से कम दो बेड 24 घंटे रिजर्व रखने का निर्देश जारी करे । मीडिया कर्मी 24 घंटे अपनी जान की बाजी लगाकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे है अतः सरकार का भी दायित्व है कि वह मीडिया कर्मियों एवं उनके परिजनों के प्रति विशेष सतर्कता बरते जिससे किसी मीडिया कर्मी को उपचार के अभाव मे काल का ग्रास न बनना पड़े।
सरकार की तरफ से केवल मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए ही घोषणाएं की जाती है क्या श्रमजीवी पत्रकार ,ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े पत्रकार,डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार,पत्रकार नहीं है। सरकार सभी को ध्यान में रखकर एकसमान रूप से सभी को देखें। इस भीषण महामारी के दौरान पत्रकारों ने भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया है फिर पत्रकारों को अनदेखा क्यों किया जा रहा है।
इस कोरोना महामारी का पत्रकारिता के संस्थानों की आय पर भी प्रभाव पड़ा है जिसके चलते कई संस्थानों के पत्रकारों को मिलने वाला मानदेय/वेतन भी सुचारू रूप से नहीं मिल पा रहा है।ऐसे में सरकार ही पत्रकारों की स्थिति को ध्यान मे रखते हुए उनकी मनःस्थिति को समझते हुए कोई ठोस कदम उठाए। जिससे वर्तमान समय का पत्रकार साथी डटकर सामना कर सके।